परदा -प्रतियोगिता -25-Mar-2022
लोग हर पल चेहरे पर परदा हैं लगाए
हँसी मुख पर, दिल में गम रहें छुपाए।
चाँद की चाँदनी पर होता बादलों का पहरा
छिपा उसकी खूबसूरती बिछाए पर्दा गहरा।
दिल पर जब भीषण पहरा-ए-अहंकार
ईश्वर न खुश हो करो कितने व्यभिचार।
लहरों पर जब छा जाता दूध-सा झाग
गहराई पर परदा लगाता है बन फाग।
मानव पर परदा जब धर्म-जाति का लगा
जिसने उसकी मानवता को हर पल ठगा।
शब्दों पर परदा लगा देती हैं खमोशी
परदा हटते ही होने लगती सरगोशी।
सिपाही का पर्दा तिरंगा लाता मदहोशी
तन-मन अर्पण भाव जगाए सरफ़रोशी।
झूठ का परदा छिपाना चाहे है सच्चाई
उठते ही जिसके सामने आए अच्छाई।
परदा बन उत्तर में खड़ा प्रहरी नगपति
डट खड़ा हो माँ को पहुँचने न दे क्षति।
परिवर्तित जीवन में सुख-दुख का परदा
एक डाले असर कभी दूजा है गिरता।
आँखों पर लाज का सुन्दर परदा छाया
हटा जिसे मानव निर्लज्ज है कहलाया।
दिल पर भी लग जाता है अलग पहरा
भावों का परदा छिपाए रहे राज गहरा।
लगा रहे परदा अपराध और भ्रष्टाचार
इससे लिपट कलुषित होता है आचार।
परदा घरों की खिड़की पर लगा होता
हटने पर हर पल नए नज़ारे दिखा देता।
औरत की लाज हेतु परदा बनता रक्षक
नोचने को कुदृष्टि घूम रही बन भक्षक।
परदे ही परदे बने मानव जीवन का अंग
कभी बनते पहरेदार कभी करते हैं तंग।
मानव पर्दे को मानवता बचाने हेतु लगाओ
स्वार्थ हेतु न किसी जीवन का बंधन बनाओ।
परदे की खूबसूरती तभी आएगी नज़र
जब इससे दिखेंगी हमें खुशहाल डगर।
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
Shrishti pandey
26-Mar-2022 08:12 PM
Nice
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Ayaansh Goyal
26-Mar-2022 05:40 PM
Nice👌🏻
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Punam verma
26-Mar-2022 08:18 AM
Very nice
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Dr. Arpita Agrawal
26-Mar-2022 08:58 AM
हार्दिक आभार 😊
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